निपाह वायरस (NiV)क्या है निपाह वायरस जाने इसके लक्षण और बचाव क्या है ।
निपाह वायरस (NiV)क्या है निपाह वायरस जाने इसके लक्षण और बचाव क्या है ।
भारत में निपाह वायरस के कई मामले सामने आ चुके हैं इतना ही नहीं केरल मैं निपाह वायरस की वजह से दो लोगों की मौत भी हो चुकी है तो आईए जानते हैं , क्या है निपाह वायरस इसके लक्षण और इससे बचाव कैसे हो सकता है।
निपाह वायरस (NiV):
निपाह वायरस एक चमगादड़ जनित ज़ूनोटिक वायरस है। जो मनुष्य और अन्य जानवरों में निपाह वायरस संक्रमण का कारण बनता है। निपाह वायरस एक उच्च मृत्यु दर वाली बीमारी है। उत्तर पूर्वी अफ्रीका और दक्षिण पूर्वी एशिया में निपाह वायरस का प्रकोप हुआ है।
भारत में निपाह वायरस के संक्रमण के ये सभी मामले केरल प्रान्त के एक ही ज़िले – कोझीकोड़ में सामने आए हैं, जोकि 12 से 15 सितम्बर 2023 के दौरान दर्ज किए गए।
स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने बड़े पैमाने पर सम्पर्क जाँच का अभियान चलाया और कोई नए मामले सामने नहीं आए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में वर्ष 2001 के बाद से, निपाह संक्रमण फैलाव का ये छठा मामला है। यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार, ये मामले तीन दिनों के दौरान दर्ज किए गए जिनमें दो मरीज़ों की मौतें भी शामिल हैं।
कैसे फैलता है निपाह वायरस:
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार निपाह वायरस एक तेजी से उभरता हुआ वायरस है जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारियों का कारण बनता है।
निपाह वायरस के बारे में सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कंम्पग सुंगाई निपाह मे पता चला था।
इसी कारण इस वायरस का नाम निपाह वायरस पड़ा । उसे समय इस बीमारी का वाहक सूअर होते थे।
लेकिन इसकी बाद जहां-जहां पर निपाह वायरस मिला उस समय निपाह वाइरस को लाने-ले-जाने के लिए कोई माध्यम सामने नहीं आ पाया।
सन 2004 में बांग्लादेश में कुछ लोग इस वायरस की चपेट में आए।
इन लोगों से पता चला कि इन्होंने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल पदार्थ को चखा था । और इस तरल पदार्थ तक वायरस को ले जाने वाले चमगादड़ थे जिन्हें फ्रूट बैट के नाम से जाना जाता है।
इस वायरस के एक इंसान से दूसरे इंसान तक पहुंचाने की पुष्टि भी हुई है और ऐसा भारत के अस्पताल में हुआ है।
निपाह वायरस के लक्षण:
निपाह वायरस (NiV) के संक्रमण से हल्की से लेकर गंभीर बीमारी हो सकती है, जिसमें मस्तिष्क में सूजन (एन्सेफलाइटिस) और संभावित मृत्यु भी शामिल है।
लक्षण आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के 3-14 दिनों में दिखाई देते हैं। बीमारी शुरू में 3-14 दिनों के बुखार और सिरदर्द के रूप में प्रकट होती है।
और इसमें अक्सर श्वसन संबंधी बीमारी के लक्षण शामिल होते हैं, जैसे खांसी, गले में खराश और सांस लेने में कठिनाई।
मस्तिष्क में सूजन (एन्सेफलाइटिस) का एक चरण आ सकता है, जहां लक्षणों में उनींदापन, भटकाव और मानसिक भ्रम शामिल हो सकते हैं, जो 24-48 घंटों के भीतर तेजी से कोमा में जा सकते हैं।
लक्षणों में प्रारंभ में निम्नलिखित में से एक या कई शामिल हो सकते हैं:
•बुखार
•सिरदर्द
•खाँसी
•गला खराब होना
•सांस लेने में दिक्क्त
•उल्टी करना
गंभीर लक्षण हो सकते हैं, जैसे:
•भटकाव, उनींदापन, या भ्रम
•बरामदगी
•प्रगाढ़ बेहोशी
•मस्तिष्क में सूजन (एन्सेफलाइटिस)
40-75% मामलों में मृत्यु हो सकती है। निपाह वायरस संक्रमण से बचे लोगों में दीर्घकालिक दुष्प्रभाव देखे गए हैं, जिनमें लगातार ऐंठन और व्यक्तित्व परिवर्तन शामिल हैं।
ऐसे संक्रमण जो लक्षण पैदा करते हैं और कभी-कभी संपर्क के बहुत बाद में मृत्यु हो जाती है (जिन्हें निष्क्रिय या अव्यक्त संक्रमण के रूप में जाना जाता है) भी संपर्क के महीनों और यहां तक कि वर्षों के बाद भी रिपोर्ट किए गए हैं।
सन 1998-99 मैं निपाह वायरस की चपेट में 265 लोग आए थे।
अस्पतालों में भर्ती हुए इनमें से लगभग 40% रोगी ऐसे थे जिन्हें गंभीर नर्वस बीमारी हुई थी और उन्हें बचाया नहीं जा सका।
रोकथाम:
उन क्षेत्रों में जहां निपाह वायरस (NiV) का प्रकोप हुआ है (बांग्लादेश, मलेशिया, भारत और सिंगापुर), लोगों को यह करना चाहिए।
•नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोने का अभ्यास करें।
•बीमार चमगादड़ों या सूअरों के संपर्क से बचें।
•उन क्षेत्रों से बचें जहां चमगादड़ों का बसेरा माना जाता है।
•उन उत्पादों को खाने या पीने से बचें जो चमगादड़ द्वारा दूषित हो सकते हैं, जैसे कच्चे खजूर का रस, कच्चे फल, या जमीन पर पाए जाने वाले फल।
•NiV से संक्रमित ज्ञात किसी भी व्यक्ति के रक्त या शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क से बचें।
उपचार:
वर्तमान में निपाह वायरस (NiV) संक्रमण के लिए कोई लाइसेंस प्राप्त उपचार उपलब्ध नहीं है। उपचार सहायक देखभाल तक सीमित है, जिसमें आराम, जलयोजन और लक्षणों के उत्पन्न होने पर उनका उपचार शामिल है।
अब तक ना तो इसके उपचार की कोई दवा है ना कोई वैक्सीन। अभी के लिए निपाह का उपचार सिर्फ और सिर्फ सावधानी ही है। अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, तो इस वायरस की चपेट में आने से बचा जा सकता है, सबसे अहम चमगादड़ के संपर्क में आने से बचें।
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