शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन
- नवरात्रि का दूसरा दिन यानी 16 अक्टूबर को देवी ब्रह्मचारिणी के आगमन का प्रतीक है जो देवी दुर्गा का दूसरा अवतार है
नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी का होता है इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है मां ब्रह्मचारिणी पार्वती मां का अविवाहित रूप है
मां ब्रह्मचारिणी कौन है:
माता पार्वती के अविवाहित रूप को मां ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा जाता है माता का यह स्वरूप सफेद रंग के कपड़े,नंगे पैर और अपने दाएं हाथ में जाप की माला और बाएं हाथ में कमंडल धरण किया हुए हैं। पूर्व जन्म में मां ने हिमालय के घर जन्म लिया और नारद जी के कहने पर शिव जी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की इनकी तपस्या के कारण इन्हें तपस्चारणी अर्थात मां ब्रह्मचारिणी नाम से जाना गया ।
मां ब्रह्मचारिणी महत्व :
जो लोग शक्ति और सुख पाना चाहते हैं उन्हें देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। वह देवी का सबसे शांत और सुंदर रूप है। वह बुद्धि, ज्ञान, शक्ति, समर्पण, प्रेम और निष्ठा से परिपूर्ण है। माँ ब्रह्मचारिणी त्रिक चक्र (स्वाधिष्ठान चक्र) की देवी हैं और वह मंगल ग्रह की अधिष्ठात्री हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष होता है उन्हें इस दिन व्रत रखना चाहिए और पूरी श्रद्धा से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी महान दाता हैं और वह अपने भक्तों को मनोकामना पूरी करने का आशीर्वाद देती हैं।
मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि :
1. सुबह जल्दी उठकर लाल कपड़े पहनें और तैयार हो जाएं।
2. दीया जलाएं और सफेद फूल (मोगरा), सिन्दूर चढ़ाएं, कुमकुम लगाएं।
3. लोगों को सफेद मिठाई (खीर, बर्फी) का भोग अवश्य लगाना चाहिए।
4. लोग देवी दुर्गा को श्रृंगार का सामान चढ़ाते हैं।
5. देवी ब्रह्मचारिणी मंत्र का जाप करें और दुर्गा सप्तशती पाठ का पाठ करें।
मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र:
ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:। या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
अर्थ :
हे माँ! सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ।
मां ब्रह्मचारिणी स्तुति:
जय माँ ब्रह्मचारिणी,
ब्रह्मा को दिया ग्यान।
नवरात्री के दुसरे दिन
सारे करते ध्यान॥
शिव को पाने के लिए
किया है तप भारी।
ॐ नम: शिवाय जाप कर,
शिव की बनी वो प्यारी॥
भक्ति में था कर लिया
कांटे जैसा शरीर।
फलाहार ही ग्रहण कर
सदा रही गंभीर॥
बेलपत्र भी चबाये थे
मन में अटल विश्वास।
जल से भरा कमंडल ही
रखा था अपने पास॥
रूद्राक्ष की माला से
करूँ आपका जाप।
माया विषय में फंस रहा,
सारे काटो पाप॥
नवरात्रों की माँ,
कृपा करदो माँ।
नवरात्रों की माँ,
कृपा करदो माँ।
जय ब्रह्मचारिणी माँ,
जय ब्रह्मचारिणी माँ॥
जय ब्रह्मचारिणी माँ,
जय ब्रह्मचारिणी माँ॥
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